वो अँधेरी काली रात, ना जाने कितनो को अपने अन्दर समाने आई थी,
उस काली रात का तांडव , ना जाने कितनो की आँखों में आंसू लाई थी |
ना जाने क्यों ना हुआ उस दिन कोई चमत्कार ,
समझ न आया होने वाला है इतना बड़ा नरसंघार|.
उन दस आतंकवादियों ने बनाया था मुंबई को निशाना ,
बर्बाद कर दिया ताज , ओबेरॉय जो था जाना पहचाना |जल मार्ग से आये थे ये आतंकवादी और समझा दिया हमे ,
बेकार हैं ये नेता और इनकी नेतागरी |
बहुत आगे हैं ये आतंकवादी हमसे ,
मुंबई को बर्बाद करने का इरादा ना जाने लिए बैठे थे कबसे ?
कुल दस आतंकवादियों से बना था इनका गुट ,
अलग थे रास्ते , मकसद था एक , और थे वे एक जुट |
उनकी एकजुटता ने सारा आलम हिला डाला ,
उनकी बरसती गोलियों ने , ना जाने कितनो को मौत के घाट उतर डाला |
नौसेना से बचते -बचाते पहुचे थे वो मुंबई में ,
फिर पहुचे ताज , ओबेरॉय और कई Hospitals में |
बड़े -बड़े ऑफिसर भी जब बने उनकी गोली का शिकार ,
तो कैसे ना मचता इतना हाहाकार |
उनकी गोली ने कहाँ देखा हिन्दू या मुस्लमान ,
मुंबई को नषट करने में , समझते थे खुद की शान |
पर हमारे बहादुर NSG कमांडरो ने , दिखाई ऐसी बहादुरी ,
दोस्त या दुश्मन हर कोई करे , उनकी प्रशंसा भूरी भूरी |
लगभग साठ घंटे चलने वाली लड़ाई हुई थी खत्म ,
दस में से नौ आतंकवादियों का हुआ था अंत |
एक कसाब ही था जो अंत में पकड़ा गया ,
उसने भी सच उगलने में , सबकी नाक में दम किया
अभी तक नहीं हुआ है फैसला कसाब के केस का ,
लगता है इंतज़ार है सरकार को ऐसे एक और ख़ूनी खेल का |