Sunday, August 21, 2011

शाकाहारी जीवन


बना  रहे  ये  प्रकृति  संतुलन, कैसे,
आओ  करें  इसका  आंकलन.
परमात्मा  ने  नर-नारी  के  साथ, लता  और  वृक्ष  उगाये,
चींटी  से  लेकर  हाथी  तक  जीव-जंतु  सारे  उपजाए.

पर  मनुष्य  बन  गया  राक्षस,
मार  खा  रहे  निर्बल  प्राणी.
जीने  का  अधिकार  छीन कर  इन  सबका,
करते  हैं  ये  मनमानी.

सावधान! सावधान  तुम  खूब  समझ  लो,
प्रकृति  संतुलन  सम  रहने  दो.
प्रभु  की  चेतावनी  धार  को,
कभी  ना  विषम  गति  से  बहने  दो. 

जियो और  जीने  दो  सबको,
तभी  सुखी  तुम  रह  पाओगे.
जीने  का  अधिकार  जंतु  का  छीनोगे,
तो  मिट  जाओगे |