Friday, March 25, 2011

ख़ूनी खेल


वो  अँधेरी  काली  रात, ना जाने  कितनो  को  अपने  अन्दर  समाने  आई  थी,
उस  काली  रात  का  तांडव , ना  जाने  कितनो  की  आँखों  में  आंसू  लाई  थी |
ना  जाने  क्यों  ना  हुआ  उस  दिन  कोई  चमत्कार ,
समझ  न  आया  होने  वाला  है  इतना  बड़ा  नरसंघार|.
उन  दस  आतंकवादियों  ने  बनाया  था  मुंबई  को  निशाना ,
बर्बाद  कर  दिया  ताज , ओबेरॉय  जो था  जाना  पहचाना |
जल  मार्ग  से  आये  थे  ये  आतंकवादी  और  समझा  दिया   हमे ,
बेकार  हैं  ये  नेता  और  इनकी  नेतागरी |
बहुत  आगे  हैं  ये  आतंकवादी  हमसे ,
मुंबई  को  बर्बाद  करने  का  इरादा  ना  जाने  लिए  बैठे  थे  कबसे ?
कुल  दस  आतंकवादियों  से  बना  था  इनका  गुट ,
अलग थे  रास्ते , मकसद  था  एक , और  थे  वे  एक  जुट |
उनकी  एकजुटता  ने  सारा  आलम  हिला  डाला ,
उनकी  बरसती  गोलियों  ने , ना  जाने  कितनो  को  मौत  के   घाट  उतर  डाला |
नौसेना  से  बचते -बचाते  पहुचे  थे  वो  मुंबई  में ,
फिर  पहुचे  ताज , ओबेरॉय  और  कई  Hospitals  में |
बड़े -बड़े  ऑफिसर  भी  जब  बने  उनकी  गोली  का  शिकार ,
तो  कैसे  ना  मचता  इतना  हाहाकार |
उनकी  गोली  ने  कहाँ  देखा  हिन्दू  या  मुस्लमान ,
मुंबई  को  नषट  करने  में , समझते  थे  खुद  की  शान |
पर हमारे  बहादुर  NSG  कमांडरो ने , दिखाई  ऐसी  बहादुरी , 
दोस्त  या  दुश्मन  हर  कोई  करे , उनकी  प्रशंसा  भूरी  भूरी |
लगभग  साठ  घंटे  चलने  वाली  लड़ाई  हुई  थी  खत्म ,
दस  में  से  नौ  आतंकवादियों  का  हुआ  था  अंत |
एक  कसाब  ही  था  जो  अंत  में  पकड़ा  गया ,
उसने  भी  सच  उगलने  में , सबकी  नाक  में  दम  किया
अभी  तक  नहीं  हुआ  है  फैसला  कसाब  के  केस  का ,
लगता  है  इंतज़ार  है  सरकार  को  ऐसे  एक  और  ख़ूनी  खेल  का |

1 comment:

  1. आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा , आप हमारे ब्लॉग पर भी आयें. यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे ....
    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
    डंके की चोट पर

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